काश इन आँखों के अश्क छुप जाते कभी कभी

काश इन आँखों के अश्क छुप जाते कभी कभी...
हम चाह के भी ना रो पाते कभी कभी...

यूँ तो आदत नहीं थी रोने की बार बार हमे....
बस हालात नम कर जाती है पलके कभी कभी...

हमे इल्म ना हुआ कब छुट गया काफूर...
ख्वाबों में उनका इस्तेकबाल होता है कभी  कभी...

काश इन आँखों के अश्क छुप जाते कभी कभी ...
हम चाह के भी ना रो पाते कभी कभी... 
हम चाह के भी ना रो पाते कभी कभी...

~ पुष्कर कुमार